केदारनाथ मंदिर और बद्रीनाथ मंदिर ऐसे तो दोनों ही मंदिर पवित्र मंदिरों मे से आता है, जहाँ पे हर साल लाखों की शंख्या मे भक्त यात्रा करने आते है, जिस से इस जगह की और भी सुंदरता बढ़ती है। अब तो हमारे देश के प्रधान मंत्री और मुख्य मंत्री भी पवित्र स्थलों की दौड़े पे जाते रहते है, जिनसे उन्हे ये पता चल सके की वहाँ किसी भी प्रकार की कोई कमी नही है। और भारत देश धार्मिकता की ओर बढ़ भी रहा है। पर अभी-भी ऐसे कुछ जगह है, जहाँ पे सुधार की जरूरत है, जो की हमलोगो को यकीन है, की धीरे-धीरे ही सही पर वहाँ भी सुधार आएगी। और हमारा भारत देश पहले की तरह की धार्मिक हो जाएगा। आज ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण कथा के बारे मे जानेंगे, जो की केदारनाथ मंदिर और बद्रीनाथ मंदिर से जुड़ा हुआ है। 

केदारनाथ मंदिर

केदारनाथ मंदिर के बारे ऐसे बहुत सी महत्वपूर्ण कथा है, जो की आज बहुत ही प्रचलित है, जो की कुछ कथाओं  का वर्णन इस लेख मे करेंगे। केदारनाथ मंदिर गढ़वाल क्षेत्र के हिमालय पे बसा हुआ है, जो की हिन्दू धर्म के पवित्र स्थलों मे से एक महत्वपूर्ण स्थल है। ये केदारनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जहाँ पे भगवान शिव की पीठ की आराधना की जाती है। इस मंदिर की मान्यता है, की ये मंदिर 12 ज्योतृलिंगा (12 jyotrilinga), दोधाम यात्रा (dodham yatra), पंच केदार (panch kedar) और छोटा चारधाम यात्रा (chardham yatra) की एक महत्वपूर्ण यात्रावों मे से एक प्रमुख यात्रा है, जहाँ पे लगभग हर वर्ष लाखों की शंख्या तक भक्त केदारनाथ यात्रा (kedarnath yatra) पे जाना पसंद करते है।

एक बार मे ही लाखों तक भीड़ चली जाने से भक्तों को बहुत तकलीफ़ों का सामना करना परता है, जिस वजह से भक्त केदारनाथ यात्रा पैकेज (kedarnath yatra package) का उपयोग करते है, जिस से उनकी यात्रा मे कोई बड़ा संकट न आए, और भक्त अपने केदारनाथ मंदिर की यात्रा आराम से कर सके। 

केदारनाथ मंदिर के निर्माण के पीछे भी एक बहुत ही पवित्र कथा छुपी हुई है, जो की पांडव से जुड़ी हुई है, ये कथा महाभारत के युद्ध से जुड़ी हुई है। जब पांडव ने अपने चचेरे भाई और ब्रह्मणो की हत्या की थी, तो उन्हे बहुत ही बुरा महसूस हो रहा था, जैसे की उन्होने बहुत ही बड़ा पाप किया है, जिसका प्रयाश्चित करना होगा। इस सोच को लेकर पांडव भगवान श्रीकृष्ण के द्वार पे गए। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हे सुझाव दिया की वो लोग भगवान शिव की पास जाए, और अपने द्वारा किए गए पापों के लिए क्षमा माँगे, क्योंकि उनके नजर मे, इस पाप का प्रयाश्चित करने के लिए कोई उपाय नही था। जिसके बाद पांडव भगवान शिव से क्षमा प्राप्त करने की इच्छा लेकर भगवान शिव से मिलने चले गए। पर भगवान शिव को जब ये ज्ञात हुआ की पांडव उनसे अपनी पापों का प्रयाश्चित करने की इच्छा से उनके पास आ रहे है, तो भगवान अपना निवास छोड़ कर चले गए, और गुप्तकाशी की गुफा मे छुप गए। इसके बाद पांडव जब उनके निवास पे आए तो उन्हे भगवान शिव के दर्शन नही हुए, और पांडव भी गुप्तकाशी की ओर निकल गए। जब भगवान शिव को इस बात का पता चला की पांडव गुप्तकाशी की ओर निकल गए है, तो भगवान शिव बैल के रूप मे केदारनाथ मे जा कर छुप गए। जब पांडव गुप्तकाशी आए तो उन्हे वहाँ भी भगवान शिव के दर्शन नही हुए, जिसके बाद पांडव केदारनाथ की ओर चले गए। केदारनाथ जाने के बाद भी जब उन्हे भगवान शिव के दर्शन नही हुए, तो पांडव हताश हो गए, तभी महाबली भीम की नज़र उस बैल पे पड़ी, जो की और बैलों से अलग दिख रहा था। भीम को कुछ शंका हुआ, जिस से भीम ने जा कर उस बैल को पकड़ने की कोसिस की, पर भीम उस बैल को पकड़ नही सके। क्योंकि वो बैल तब तक ज़मीन मे समा चुका था। जिसके बाद उस बैल के शरीर का अंग अलग-अलग पाँच जगह पे प्रकट हुआ। जिसको खोज-कर पांडव ने पाँच मंदिरों का निर्माण किया, जिस मे से एक केदारनाथ मंदिर भी है। इन मंदिरों के स्थापना के बाद उन्होने अपने द्वारा किए गए पापों का प्रयाश्चित किया और फिर स्वर्ग की ओर जाने के लिए निकल गए। 

बद्रीनाथ

बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के तट पे बसा हुआ है, जहाँ के इष्ट देव विष्णु है, जिसे हमलोग बद्रि नारायण मंदिर के नाम से भी जानते है। बद्रीनाथ मंदिर अपने आकर्षित दृश्य के कारण बहुत ही प्रसिद्ध है, साथ ही इसके शहर की भी खूबसूरती का क्या ही कहना । 

बद्रीनाथ मंदिर की पवित्र कथा बहुत सारी प्रचलित है, जिन मे से कुछ प्रचलित कथा ये भी है, की जब आठवि शताब्दी मे आदि शंकराचर्या ने जब अलकनंदा मे से भगवान विष्णु की मूर्ति की खोज किए थे, उसके बाद उस मूर्ति को अच्छे से पुजा-अर्चना कर के तप्त कुंड के गुफा मे भगवान विष्णु के मूर्ति की स्थापना कर दिये थे। जिसके बाद 16 शतबदी मे गढ़वाल के राजा को भगवान विष्णु की मूर्ति प्राप्त हुई थी, तो उस राजा भगवान विष्णु के मंदिर का निर्माण करवाया था, जिसे आज हमलोग बद्रीनाथ मंदिर के नाम से जानते है।