प्रशस्ति
केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र मे स्थित है, जो की समुद्र तट से लगभग 3583 मिटर की ऊंचाई पे स्थित है। जो की मंदाकिनी नदी के निकट स्थित है। केदारनाथ मंदिर हिन्दू धर्म के बहुत ही पवित्र स्थलों मे से एक महत्वपूर्ण स्थल है। जहाँ पे भगवान शिव की पीठ की आराधना की जाती है।
केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतृलिंगा (12 jyotrilinga), दोधाम यात्रा (dodham yatra), पंच केदार (panch kedar) और छोटा चारधाम यात्रा (chardham yatra) की एक महत्वपूर्ण यात्रा है। जहाँ पे साल कुछ समय तो ऐसी भीड़ होती है, की वहाँ पे आपको पैर रखने की जगह नही मिलती है। और कुछ ऐसे समय भी होते है, जब केदारनाथ मंदिर के द्वार पे बंद रहता है। जिसके वजह से वहाँ पे आपको कोई इंसान भी नही दिखता है।
ये सब भगवान शिव के लीला मे से एक है, जो की ये बताना चाहते है, की सब का समय बदलता है। जहाँ पे कभी इंसान की भीड़ नही खत्म होने का नाम लेती है। उसी स्थान पे एक समय के बाद कोई चाह कर भी नही जा पता है।
केदारनाथ मंदिर मे एक बार मे लाखों की भीड़ चली जाने से भक्त को केदारनाथ यात्रा (kedarnath yatra) करने मे काफी सारे संकट का सामना करना परता है, जिस से वो अपने यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए केदारनाथ यात्रा पैकेज (kedarnath yatra package) का उपयोग करना पसंद करते है। जिस से उनकी यात्रा मे कोई संकट देखने को ना मिले और वो अपनी केदारनाथ की यात्रा बिना कोई चिंता के कर सके।
केदारनाथ मंदिर की तो ऐसे बहुत सी मान्यता है, जिसके कारण से भक्त केदारनाथ की यात्रा करने जाने जाते है। जैसे की एक मान्यता है, यहाँ आकर भगवान शिव के मात्र दर्शन से आपके सारे पापों का प्रयाश्चित हो जाते है। क्योंकि केदारनाथ मंदिर का निर्माण ही हुआ है, पापों का प्रयाश्चित करने के लिए, इस मंदिर का निर्माण पांडव ने किया था। क्योंकि उनसे बहुत बड़ा पाप हुआ था, जिसका प्रयाश्चित करने के लिए पांडव ने केदारनाथ मंदिर का निर्माण किए थे।
केदारनाथ मंदिर की एक बहुत ही खास बात है, जो की ये है की केदारनाथ मंदिर और रामेश्वरम की मंदिर दोनों को देखा जाए, ये पता चलता है, की दोनों मंदिर एक ही सीधी रेखा मे स्थापित है।
केदारनाथ मंदिर छः माह बंद होने का मुख्य कारण
केदारनाथ मंदिर बंद होने का मुख्य दो कारण है। एक मुख्य कारण है, यहाँ की मौसम जो की इतनी ज्यादा खराब हो जाती है, लोग यहाँ रहते भी नही। उस समय लोग उस जगह को छोड़ कर कही और चले जाते है। और साथ ही भगवान की मूर्ति को उठा कर ले जाते है, और उखीमठ मे स्थापना कर देते है।
दूसरी जो मुख्य वजह है, वो ये है की, वहाँ पे ऐसा माना जाता है, की जब केदारनाथ मे सर्दी का समय आता है, तो उस समय भगवान शिव खुद केदारनाथ की शुद्ध ज़मीन पे आते है, और अपने तप लिन हो जाते है। उनका तप किसी भी भक्त के कोई गलती से भंग ना हो जाए। इसलिए केदारनाथ मंदिर के पट बंद किए जाते है। इस से भगवान शिव अपने तप मे लिन रहे और कोई भी भक्त से उनका तप गलती से भी भंग ना हो।
यहीं दो मुख्य कारण होते है, जिसके कारण भगवान शिव का मंदिर छः माह के लिए बंद किया जाता है।
केदारनाथ यात्रा आरंभ कहाँ से होती है
केदारनाथ यात्रा करने के आपको सबसे पहले ऋषिकेश या हरिद्वार आना परता है, जहाँ से आपको किराए पे वाहन कर के गौरीकुण्ड तक आना होता है। जिसके बाद गौरीकुण्ड से केदारनाथ मंदिर जाने के लिए आपको लगभग 16 किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करनी परती है, जो की बहुत ही दुर्गम चढ़ाई होती है।
गौरीकुण्ड से अगर आप पैदल चढ़ाई नही करना चाहते हो, तो आप गौरीकुण्ड से घोडा और पालकी जैसे सवारी को किराए पे ले सकते हो, क्योंकि इसके बाद आपको कहीं इसकी सुविधा नही मिलती है।
गौरीकुण्ड मे भक्त स्नान करने के लिए रुकते है, जिसके दो मुख्य कारण है। एक तो इस कुंड का जल आपको गर्म मिलता है, जो की आपको बहुत ही राहत देता है। और दूसरी ये है, की अगर आप इस कुंड मे स्नान करते हो तो, आपके सारे दुख और तकलीफ दूर हो जाते है। इसका मुख्य यह कारण है, की इस कुंड पर माता पार्वती का आशीर्वाद है, क्योंकि एक समय मे माता पार्वती इस कुंड मे स्नान किया करती थी।
गौरीकुण्ड से ही बहुत दुर्गम चढ़ाई तो शुरू होती ही है, पर उसके साथ जो आपको दृश्य देखने को मिलता है, उसकी क्या-ही बात होती है। ये दृश्य आपका पूरी तरह से मन मोह लेती है।