बद्रीनाथ मंदिर
बद्रीनाथ मंदिर कभी एक समय मे भगवान शिव और माता पार्वती का स्थान हुआ करता था। जो की आज के समय मे भगवान विष्णु को समर्पित है। भगवान विष्णु बद्रीनाथ को पाने के लिए बहुत ही ज्यादा मेहनत किए थे, जिसके बाद उन्हे बद्रीनाथ मंदिर मिला था।
ये बात उस समय की है, जब भगवान विष्णु खुद के लिए निवास तलाश रहे थे, और उन्हे कही भी उनके मन को भाने वाला जगह मिल ही नही रही थी। तब उनकी नजर अलकनंदा नदी के तट पे बसे इस बद्रीनाथ मंदिर पे नजर गई। जो की उनके मन को पूरी तरह से भा गया था। जब भगवान विष्णु वहाँ के रहने वाले के बारे मे पता किया तो उन्हे पता चला की, इस जगह पे माता पार्वती और भगवान शिव रहते है। तब वो बहुत दुखी हुए, क्योंकि उन्हे वो स्थान खुद के लिए चाहिए था। पर अब ऐसा नही हो सकता था।
जिसके बाद भगवान विष्णु ने एक युक्ति सोची और वो भगवान शिव के बाहर जाने का इंतज़ार करने लगे। जब भगवान शिव अपना निवास छोड़ कर बाहर गए। तो भगवान विष्णु ने उन्हे देखा जिसके बाद भगवान विष्णु देखते है, की माता भी अपने निवास को छोड़ कर कही जा रही है। तो भगवान विष्णु माता पार्वती के रास्ते मे एक नन्हा सा सिशु के रूप मे लेट गए, और रोने लगे।
जब माता पार्वती को उस नन्हें सिशु के रोने का आवाज़ आया तो, माता पार्वती वहाँ गई और देखी की एक नन्हा सिशु बहुत रो रहा है। जिसके बाद माता पार्वती अपने अगल-बगल देखती है, आवाज लगाती है, तो वहाँ कोई नही आता है। जिसके बाद माता पार्वती उस नन्हें से सिशु को गोद मे उठा लेती है, और चुप कराने की कोसिस करने लगती है। पर वो बच्चा चुप होने का नाम ही नही ले रहा था। तब माता पार्वती समझ जाती है, की ये नन्हा बच्चा भूख के मारे रो रहा है। जिसके बाद माता पार्वती उस नन्हें सिशु को अपने साथ बद्रीनाथ के अंदर ले जाती है, और उसके पीने के लिए दूध देती है। जिसको पीते ही वो नन्हा सिसु सो जाता है। उसके बाद माता पार्वती स्नान करने चली जाती है।
माता पार्वती के जाने वो नन्हा सिसु उठ कर बद्रीनाथ मंदिर का द्वार बंद कर देता है, क्योंकि वो नन्हा सिशु तो खुद भगवान विष्णु थे। जिसके कुछ समय बाद वहाँ भगवान शिव आते है, और वो देखते है, की बद्रीनाथ का द्वार अंदर से बंद है, जिसके वजह से उनको वही बाहर इंतज़ार करना पड़ता है। जब वहाँ माता पार्वती स्नान करने के बाद आती है, तो वो भगवान शिव को बाहर खड़े देख कर आश्चर्यचकित रह जाती है। जिसके बाद माता पार्वती, भगवान शिव के निकट जा कर पूछती है, की आप इस तरह बाहर क्यों खड़े हो, इस पर भगवान शिव उनसे बोलते है, हमारे निवास का द्वार अंदर से बंद है, किसने किया है। इस माता पार्वती को पहले तो कुछ समझ नही आता है, पर बाद मे उन्हे याद आता है, की उन्होने एक नन्हें सिशु को अंदर सुला कर आई थी। जिस बात को जैसे ही भगवान शिव को बताती है, तो भगवान शिव सब समझ जाते है। उसके बाद भगवान शिव माता पार्वती से बोलते है, की ये आपका और आपके बच्चे का बात है, इस मैं कुछ नही बोल सकता हूँ। इतना बोलने के बाद भगवान शिव बद्रीनाथ को छोड़ केदारनाथ चले आते है, साथ-ही-साथ माता पार्वती।
इस तरह भगवान विष्णु बद्रीनाथ को अपना निवास बनाया था। जो की आज से समय मे दोधाम के नाम से भी जाना है। दोधाम की यात्रा मे मुख्य दो मंदिर आता है।
दोधाम के मुख्य मंदिर
केदारनाथ मंदिर, दोधाम यात्रा (dodham yatra) की एक मुख्य यात्रा है, जहाँ हर पे साल भक्तों की भीड़ उमर कर आती है। केदारनाथ मंदिर बहुत ही खतरनाक जगह पे स्थित है। जिसके बाद भी भक्त यहाँ यात्रा करने से नही कतराते है। क्योंकि उनकी भक्ति उन्हे यहाँ खिच कर लाती है, और ऐसा भी कहा जाता है, की अगर भगवान शिव आपको बुलाने चाहे तो आपको आना ही पड़ता है।
केदारनाथ मंदिर गढ़वाल क्षेत्र के हिमालय की गोद मे स्थित है, जो की समुद्र की स्तर से लगभग 3583 मिटर की ऊंचाई पे स्थित है। केदारनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जहाँ पे भगवान शिव की पीठ की आराधना की जाती है।
केदारनाथ मंदिर की यात्रा करना काफी ही कठिन कार्य मे से एक है। क्योंकि ये मंदिर साल के 6 माह के लिए तो बंद रहता है, क्योंकि उस समय यहाँ का मौसम इतना खराब होता है, की यहाँ कोई आ सकता है। और बाकी 6 माह भक्त यात्रा करने आते इसके वजह से यहाँ भक्तों की शंख्या लाखों तक चली जाती है। जिस से उन्हे बहुत सारे तकलीफ़ों का सामना करना पड़ता है। भक्त इतने सारे तकलीफ़ों को देखते हुए, अपने केदारनाथ यात्रा (kedarnath yatra) को आसान बनाने के लिए केदारनाथ यात्रा पैकेज (kedarnath yatra package) का उपयोग करते है। जिन से काफी मदद मिलती है, और वो अपनी केदारनाथ की यात्रा को मंगलमय बनाते है।